PM Kisan Yojana : पीएम किसान योजना की बढ़ेगी किस्त, सभी किसान भाइयों के लिए जरूरी खबर, सरकार ने दी यह जानकारी।

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PM Kisan Yojana : प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि योजना की शुरुआत केंद्रीय सरकार के तरफ से साल 2019 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत लगभग देश के 9 करोड़ किसान भाई के खाते में प्रत्येक 4 महीने पर ₹2000 की किस्त ट्रांसफर किया जाता है। ऐसे में एक बड़ी खबर निकल कर आ रही है कि क्या पीएम किसान योजना की किस्त में बढ़ोतरी होगी? इसको लेकर सरकार की तरफ से अहम जानकारी दिया गया है। आईए जानते हैं पूरी खबर विस्तार से।

PM Kisan Yojana : क्या पीएम किसान योजना की बढ़ेगी किस्त?

प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि योजना के लाभार्थियों के लिए एक बहुत ही जरूरी खबर है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया है कि भारत सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत नए पंजीकरण के लिए 14 राज्य में किसान आईडी (Kisan ID) को अनिवार्य कर दिया है। मंत्री की तरफ से यह भी कहा गया कि इस योजना के तहत प्रदान किए जाने वाले ₹6000 वार्षिक लाभ को बढ़ाने का कोई प्रस्ताव फिलहाल विचार दिन नहीं है।

साल 2019 में शुरू की गई थी यह योजना

बता दे की फरवरी 2019 में पीएम किसान योजना की शुरूआत किया गया था। जिसका उद्देश्य कृषि योग्य भूमि वाले किसानों को वित्तीय जरूरत को पूरा करना है। इस कार्यक्रम के तहत, पात्र किसानों के आधार से जुड़े हुए बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से तीन सामान किस्तों में सालाना ₹6000 सीधे हस्तांतरित किए जाते हैं। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, स्थापना के बाद सरकार ने 20 किस्तों के माध्यम से 3.90 लाख करोड रुपए से अधिक का पैसा का वितरण किया जा चुका है।

क्या है डिटेल्स समझे।

अंतिम छोर तक पहुंचे और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए, किसान केंद्रित डिजिटल बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है, जिससे कि बिचौलियों को इस प्रक्रिया से हटा दिया गया है।

राज्य सरकार की तरफ से अपने किसान रजिस्टर बनाने के लिए कई नामांकन मोड भी बनाए गए हैं। मंत्रालय ने कहा है कि यह सिस्टम स्थानीय प्रशासन को अधिकृत क्षेत्र स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से पंजीकरण के दौरान शिकायतों या विसंगतियों का समाधान करने की अनुमति देता है। इस योजना के तहत पात्रता मुख्य रूप से कृषि योग्य भूमि पर आधारित है, जिसमें उच्च आय वाले किसानों को शामिल नहीं किया गया है।

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